प्रो. अशोक चक्रधर को व्यंग्यश्री सम्मान

अपने समय के सर्वश्रेष्ठ व्यंग्यकारों में से एक पं. गोपाल प्रसाद व्यास के जन्म दिवस पर प्रतिवर्ष दिया जाने वाला अत्यंत प्रतिष्ठित ‘‘ व्यंग्यश्री सम्मान’’ इस वर्ष प्रो. अशोक चक्रधर को 13 फरवरी की शाम हिंदी भवन में आयोजित हुए भव्य समारोह में प्रदान किया गया । व्यंग्य के क्षेत्र में इस सम्मान को पद्मश्री के समान प्रतिष्ठित बताते हुए ख्यातनाम व्यंग्यकार श्री आलोक पुराणिक ने कहा कि अब वह समय आ गया है जब श्रेष्ठ व्यंग्य साहित्य को डिजिटल फार्म में लाया जाना चाहिए । 

इस अवसर पर पं. गोपाल प्रसाद व्यास की व्यंग्य रचनाओं के महत्व को स्पष्ट करते हुए प्रो. प्रेम जन्मेजय ने बताया कि श्री के.एल.गर्ग द्वारा किए गए व्यास जी की 35 चुनी हुई रचनाओं के अनुवाद को इस वर्ष के ‘‘साहित्य अकादमी’’ पुरस्कार के लिए चुना गया है जिससे स्पष्ट होता है कि श्री व्यास जी की व्यंग्य रचनाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं तथा आज भी लोगों द्वारा पसंद की जा रही हैं ।

सम्मान प्राप्त करने पर श्री पुरुषोत्तम हिंदी भवन न्यास समिति का आभार व्यक्त करजे हुए प्रो. अशोक चक्रधर ने कहा कि वे अपने जीवन में जिन दो व्यक्तियों से सबसे ज्यादा प्रभावित रहे हैं उनमें से एक श्री गजानन माधव मुक्तिबोध तथा दूसरे पंड़ित गोपाल प्रसाद व्यास जी हैं। 

आज के समय के सबसे लोकप्रिय व्यंग्यरचनाकारों में से एक श्री ज्ञान चतुर्वेदी इस समारोह के मुख्य अतिथि थे । उन्होंने कहा कि यद्यापि व्यंग्यश्री सम्मान प्राप्त किए जाने के लिए व्यंग्यक्षेत्र का प्रत्येक रचनाकार ही लालायित रहता है तो भी व्यंग्य रचनाओं का उद्देश्य केवल पुरस्कार प्राप्ति न होकर समाजिक उद्देश्य से एक श्रेष्ठ रचना का सृजन होना चाहिए। डा. ज्ञान चतुर्वेदी ने, जोकि एक प्रख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ भी हैं, चिकित्सकों तथा रचनाकारों पर एक साथ व्यंग्य करते हुए कहा कि जिस तरह आजकल डाॅक्टर इतने मरीजों को रोज देखते हैं कि उनके पास मरीजों को देखने का वक्त ही नहीं हैं उसी तरह रचनाकार भी रचनाओं की गुणवत्ता का बिना ध्यान रखे हुए बस रचनाएं लिखते जा रहे हैं । 

समारोह की अध्यक्षता प्रसि़द्ध साहित्यकार प्रोफेसर निर्मला जैन द्वारा तथा संचालन प्रो. रत्नाकौशिक द्वारा किया गया । 

व्यंग्यश्री सम्मान के बारे में बताते हुए हिंदी भवन के मंत्री तथा प्रसिद्ध व्यंग्यकवि डा. गोविन्द व्यास ने कहा कि 23 वर्षोें से लगातार प्रतिवर्ष दिया जाने वाला यह सम्मान अब तक श्री श्रीलाल शुक्ल, श्री के.पी.सक्सैना, श्री गोपाल चतुर्वेदी तथा डा. नरेन्द्र कोहली जैसे ख्यातनाम व्यंग्यकारों को दिया जा चुका है । 

हिंदी भवन के अध्यक्ष श्री टी.एन. चतुर्वेदी द्वारा समारोह में भाग लेने वाले सभी व्यक्तियों का आभार व्यक्त किया गया ।   

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